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Wednesday, September 7, 2011

कुमार विश्वास

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!


भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा

कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा
कोई ख़्वाबों में आकार बस लिया दो पल तो हंगामा
मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है , साजिश है
उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा

जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा
ये जज्बातों, मुलाकातों हंसी रातों का हंगामा
जवानी के क़यामत दौर में यह सोचते हैं सब
ये हंगामे की रातें हैं या है रातों का हंगामा

कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा

इबारत से गुनाहों तक की मंजिल में है हंगामा
ज़रा-सी पी के आये बस तो महफ़िल में है हंगामा
कभी बचपन, जवानी और बुढापे में है हंगामा
जेहन में है कभी तो फिर कभी दिल में है हंगामा

हुए पैदा तो धरती पर हुआ आबाद हंगामा
जवानी को हमारी कर गया बर्बाद हंगामा
हमारे भाल पर तकदीर ने ये लिख दिया जैसे
हमारे सामने है और हमारे बाद हंगामा



तुम अगर नही आई गीत गा न पाऊँगा
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा
तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है


तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है
तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है
रात की उदासी को याद संग खेला है
कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है
औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

तुम अलग हुई मुझसे साँस की ख़ताओं से
भूख की दलीलों से वक्त की सज़ाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है
कंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

1.
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन
2.
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है.


3.
जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उमर मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है .
4.
बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया
हवाऒं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया
रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नही पायी कभी मै कह नही पाया
5.
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

6.
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश मे है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या

7.
समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही सकता
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता

ओ प्रीत भरे संगीत भरे!
ओ मेरे पहले प्यार !
मुझे तू याद न आया कर
ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे!
नस नस के पहले ज्वार!
मुझे तू याद न आया कर।


पावस की प्रथम फुहारों से
जिसने मुझको कुछ बोल दिये
मेरे आँसु मुस्कानो की
कीमत पर जिसने तोल दिये
जिसने अहसास दिया मुझको
मै अम्बर तक उठ सकता हूं
जिसने खुदको बाँधा लेकिन
मेरे सब बंधन खोल दिये

ओ अनजाने आकर्षण से!
ओ पावन मधुर समर्पण से!
मेरे गीतों के सार
मुझे तू याद न आया कर।


मूझे पता चला मधुरे तू भी पागल बन रोती है,
जो पीङा मेरे अंतर में तेरे दिल में भी होती है
लेकिन इन बातों से किंचिंत भी अपना धैर्य नही खोना
मेरे मन की सीपी में अब तक तेरे मन का मोती है,


ओ सहज सरल पलकों वाले!
ओ कुंचित घन अलकों वाले!
हँसते गाते स्वीकार
मुझे तू याद न आया कर।
ओ मेरे पहले प्यार
मुझे तू याद न आया कर

 आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये
तन-मन की धरती पर
झर-झर-झर-झर-झरना
साँसों मे प्रश्नों का आकुल आकाश लिये

तुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगी
जानी-अनजानी सौ बाधाएँ रोकेंगी
लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी
पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी
सारी बाधाएँ तज, बल खाती नदिया बन
मेरे तट आना
एक भीगा उल्लास लिये
आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये

जब तुम आऒगी तो घर आँगन नाचेगा
अनुबन्धित तन होगा लेकिन मन नाचेगा
माँ के आशीषों-सी, भाभी की बिंदिया-सी
बापू के चरणों-सी, बहना की निंदिया-सी
कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल, अरूणिम-अरुणिम
पायल की ध्वनियों में
गुंजित मधुमास लिये
आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये

उनकी ख़ैरो-ख़बर नही मिलती
हमको ही खासकर नही मिलती

शायरी को नज़र नही मिलती
मुझको तू ही अगर नही मिलती

रूह मे, दिल में, जिस्म में, दुनिया
ढूंढता हूँ मगर नही मिलती

लोग कहते हैं रुह बिकती है
मै जिधर हूँ उधर नही मिलती

सूरज पर प्रतिबंध अनेकों
और भरोसा रातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हँसना झूठी बातों पर

हमने जीवन की चौसर पर
दाँव लगाए आँसू वाले
कुछ लोगो ने हर पल, हर दिन
मौके देखे बदले पाले
हम शंकित सच पा अपने,
वे मुग्ध स्वँय की घातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हँसना झूठी बातों पर

हम तक आकर लौट गई हैं
मौसम की बेशर्म कृपाएँ
हमने सेहरे के संग बाँधी
अपनी सब मासूम खताएँ
हमने कभी न रखा स्वयँ को
अवसर के अनुपातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हँसना झूठी बातों पर

मैं तुम्हे अधिकार दूँगा
एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा
मैं अपरिमित प्यार दूँगा
मैं तुम्हे अधिकार दूँगा

सत्य मेरे जानने का
गीत अपने मानने का
कुछ सजल भ्रम पालने का
मैं सबल आधार दूँगा
मैं तुम्हे अधिकार दूँगा

ईश को देती चुनौती,
वारती शत-स्वर्ण मोती
अर्चना की शुभ्र ज्योति
मैं तुम्ही पर वार दूँगा
मैं तुम्हे अधिकार दूँगा

तुम कि ज्यों भागीरथी जल
सार जीवन का कोई पल
क्षीर सागर का कमल दल
क्या अनघ उपहार दूँगा
मै तुम्हे अधिकार दूँगा

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